Hindi India and UN

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प्रस्तावना
28 जून, 1919-वर्साय की संधि-हॉल ऑफ मिरर्स में शांति संधि पर हस्ताक्षर जिसमें भारत एक हस्ताक्षरकर्ता था।
 
आधुनिक बहुपक्षीय राजनय संस्थानों के साथ भारत का सम्पर्क उस समय प्रारंभ हुआ जब भारत ने 28 जून, 1919 को वर्साय की संधि पर हस्ताक्षर किए जिससे प्रथम विश्वयुद्ध की समाप्ति हुई। संधि के अनुच्छेद-I में राष्ट्रसंघ की स्थापना का उल्लेख किया गया था जो संयुक्त राष्ट्र का पूर्वदूत बना। भारत इस संगठन का और साथ ही वर्साय की संधि के अन्तर्गत स्थापित अन्तराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) का संस्थापक सदस्य था। वर्ष 1922 में भारत आई एल ओ की शासी परिषद (गवर्निंग काउन्सिल) का स्थायी सदस्य बन गया और यह सदस्यता आज भी बनी हुई है।
भारत उन देशों में शामिल था जिन्होंने 01 जनवरी, 1942 को वाशिंगटन मे संयुक्त राष्ट्र घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए और साथ ही 25 अप्रैल से 26 जनू, 1945 तक सैन फ्रांसस्कों में अन्तर्राष्ट्रीय संगठन के ऐतिहासिक संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में भाग लिया। संस्थापक सदस्य के रूप में भारत संयुक्त राष्ट्र के उद्देश्यों एवं सिद्धान्तों का जोरदार समर्थन करता है और इसने चार्टर के लक्ष्यों के कार्यान्वयन तथा संयुक्त राष्ट्र के विशेषीकृत कार्यक्रमों एवं अभिकरणों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान किया है।
 
स्वतंत्र भारत ने संयुक्त राष्ट्र की अपनी सदस्यता को अन्तर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा बनाए रखने की महत्वपूर्ण गारंटी के रूप में देखा। उपनिवेशवाद व रंगभेद की नीति के विरूद्ध संयुक्त राष्ट्र द्वारा उग्र संघर्ष किए जाने के दौरान भारत अग्रणी मोर्चें पर डटा रहा। गुट निरपेक्ष आन्दोलन तथा समूह 77 के प्रवर्तक के रूप में में भारत ने संयुक्त राष्ट्र विकासशील देशों की चिंताओं व आकांक्षाओं तथा एक अधिक न्यायसंगत अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक एवं राजनीतिक व्यवस्था के प्रमुख  वक्ता रूप में अपनी स्थिति सुदृढ़ कर ली।
 
आज भारत सुरक्षा परिषद में स्थायी एवं अस्थायी दोनों श्रेणी के सदस्यों की संख्या बढ़ाने सहित संयुक्त राष्ट्र में सुधार संबंधी प्रयासों का नेतृत्व कर रहा है जिससे समकालीन वास्तविकताओं को परिलक्षित किया जा सके।